Thursday 9 October 2014

कुंडली से जाने :संतान प्राप्ति का समय :संतान बाधा दूर करने के सरल उपाय: Time of receipt children by Horoscope: obstacle to overcome by simple upay:

संतान प्राप्ति  का समय : 

ज्योतिषीय नियम हैं जो घटना के समय बताने  में सहायक होते हैं . 
संतान प्राप्ति  का समय : 
लग्न और लग्नेश को देखा  जाता  है। 
घटना का संबंध किस भाव से है
भाव का स्वामी कौन  है । 
भाव का कारक ग्रह कौन है।  
भाव में कौन कौन से ग्रह हैं।  
भाव पर किस  ग्रह की दृष्टि। 
कौन से ग्रह महादशा ,अंतर्दशा, प्रत्यंतर्दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है।
भाव को प्रभावित करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिये। 
 इन सभी का अध्ययन करने   से किसी भी घटना का समय जाना जा सकता है।
 संतान प्राप्ति के समय को जानने के लिए पंचम भाव, पंचमेश अर्थात पंचम भाव का स्वामी, पंचम कारक गुरु, पंचमेश, पंचम भाव में स्थित ग्रह और पंचम भाव ,पंचमेश पर दृष्टियों पर ध्यान देना चाहिए।   जातक का विवाह हो चुका हो और संतान अभी तक नहीं हुई हो , संतान का समय निकाला जा सकता है। 
पंचम भाव जिन शुभ ग्रहों से प्रभावित हो उन ग्रहों की दशा-अंतर्दशा और गोचर के शुभ रहते संतान की प्राप्ति होती है। 
गोचर में जब ग्रह पंचम भाव पर या पंचमेश पर या पंचम भाव में बैठे ग्रहों के भावों पर गोचर करता है तब संतान सुख की प्राप्ति का समय होता है। 
 पुत्र और पुत्री प्राप्ति का समय कैसे जानें? 
 संतान प्राप्ति के समय के निर्धारण में यह भी जाना जा सकता है कि पुत्र की प्राप्ति होगी या पुत्री की। यह ग्रह महादशा, अंतर्दशा और गोचर पर निर्भर करता है। यदि पंचम भाव को प्रभावित करने वाले ग्रह पुरुष कारक हों तो संतान पुत्र और यदि स्त्री कारक हों तो पुत्री होगी।
१   पंचम भाव का स्वामी स्वग्रही हो
२.
पंचम भाव पर पाप ग्रहों की दॄष्टि ना होकर शुभ ग्रहों की दॄष्टि हो अथवा स्वयं चतु सप्तम भाव को देखता हो.
३.
पंचम भाव का स्वामी कोई नीच ग्रह ना हो यदि  भाव पंचम में कोई उच्च ग्रह हो तो अति सुंदर योग होता है.
४.
पंचम भाव में कोई पाप ग्रह ना होकर शुभ ग्रह विद्यमान हों और षष्ठेश या अष्टमेश की उपस्थिति  भाव पंचम में नही होनी चाहिये.
५. 
पंचम भाव का स्वामी को षष्ठ, अष्टम एवम द्वादश भाव में नहीं होना चाहिये. पंचम भाव के स्वामी के साथ कोई पाप ग्रह भी नही होना चाहिये साथ ही स्वयं पंचम भाव का स्वामी नीच का नही होना चाहिये.
६. 
पंचम भाव का स्वामी उच्च राशिगत होकर केंद्र त्रिकोण में हो.

संतान सुख मे परेशानी के योग :
ऊपर बताये गये  ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो संतान प्राप्ति में बाधा आती है | |
 पुत्र या पुत्री :
सूर्य ,मंगल, गुरु पुरुष ग्रह हैं |
शुक्र ,चन्द्र स्त्री ग्रह हैं |
 बुध और शनि नपुंसक ग्रह हैं |
 संतान योग कारक पुरुष ग्रह होने पर पुत्र होता  है।
 संतान योग कारक स्त्री ग्रह होने पर पुत्री होती  है |
शनि और बुध  योग कारक हो  पुत्र व पुत्री होती  है|
ऊपर बताये गये  ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों तो ,  पुत्र या पुत्रियों की हानि होगी |

संतान बाधा दूर करने के सरल  उपाय:
-   ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं गुरुवे नमः का जाप करें |
-  गुरु योग कारक होने पर ,तर्जनी में गुरु रत्न पुखराज स्वर्ण में धारण  करें |
-संतान गोपाल स्तोत्र
ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः |जाप ,हवन. तर्पण ,ब्राह्मणों को भोजन कराएं |
- किसी गरीब दम्पति की संतान उत्पन्न होने पर बच्चे के उपयोग में आने वाले वस्तुए का दान करना चाहिए।

-  गायें की सेवा करे द |
- गरीब बालक, बालिकाओं को, पढ़ाएं, लिखाएं, वस्त्र, कापी, पुस्तक, दान देना  है।
- आम, बील, आंवले, नीम, पीपल के पांच पौधे लगाना चाईऐ ।
-गोपाल सहस्रनाम- हरिवंश पुराण   का पाठ करें।-
- पंचम-सप्तम स्थान पर स्थित क्रूर ग्रह का उपाय करें।
- दूध   अंजीर, सफेद प्याज का मुरब्बा  सेवन करें।
-शकर और एलाची  का मिल्क  सेवन करें।
-  भगवान शिव का प्रतिदिन  पूजन करें।
- किसी बड़े का अनादर ना करे।
-  धार्मिक आचरण रखें।
- गरीबों और असहाय खाना खिलाएं, दान करें  की मदद करें।
- किसी अनाथालय में  दान दें।
-कुता  को प्यार करे।
- संतान दोष अथवा पितृ दोष का  उपाय करे  .
- घर का वास्तुदोष का  उपाय करे। 
- हरिवंश पुराण का पाठ या संतान गोपाल मंत्र का जाप कराये .
-बाधक   ग्रहो के उपाय करे।
-  सोने  का उपयोग न करे।
- ताबै का उपयोग  करे।
-ताबै के बर्तन का पानी पीये।
-मास मदिरा का सेवन ना करे। 

-अनुलोम विलोन ,कपालभाति करे। 
-खासी सरदी को ठीक करे। 

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