Monday 6 October 2014

अलसी के असरकारी फायदे

अलसी के असरकारी फायदे

कुछ का मानना है कि अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है। कुछ शोध से ये बात सामने 

आई कि इससे दिल की बीमारी, कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इस छोटे से 

बीच से होने वाले फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है,​​ जिसका इस्तेमाल सदियों से लोग करते आए 

हैं। अलसी को 3000 ईसा पूर्व बेबीलोन में उगाया गया था। 8वीं शताब्दी में राज चार्लेमगने अलसी

कुछ का मानना है कि अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है। कुछ शोध से ये बात सामने

 आई कि इससे दिल की बीमारी, कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इस छोटे से 

बीच से होने वाले फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है,​​ जिसका इस्तेमाल सदियों से लोग करते आए

 हैं। अलसी को 3000 ईसा पूर्व बेबीलोन में उगाया गया था। 8वीं शताब्दी में राज चार्लेमगने अलसी 

कुछ का मानना है कि अलसी इस धरती का सबसे शक्तिशाली पौधा है। कुछ शोध से ये बात सामने 

आई कि इससे दिल की बीमारी, कैंसर, स्ट्रोक और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इस छोटे से 

बीच से होने वाले फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है,​​ जिसका इस्तेमाल सदियों से लोग करते आए 

हैं। अलसी को 3000 ईसा पूर्व बेबीलोन में उगाया गया था। 8वीं शताब्दी में राज चार्लेमगने अलसी 

से शरीर को होने वाले फायदों पर इतना ज्यादा यकीन करते थे कि उन्होंने इसे खाने के लिए एक 

कानून भी पारित करा दिया था। आज 1300 साल बाद विशेषज्ञों ने प्राथमिक शोध के आधार पर 

कहा कि चार्लेमगने का अंदेशा बिल्कुल सही था। वैसे तो अलसी में सभी तरह के स्वस्थ तत्व पाए

 जाते हैं, पर इनमें से तीन ऐसे हैं, जो बेहद खास हैं। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है।

 यह फैट अच्छा होता है और दिल को सेहतमंद रखता है। एक चम्मच अलसी में करीब 1.8 ग्राम 

ओमेगा-3 पाया जाता है। अलसी से होने वाले स्वास्थ लाभ 1. कैंसर: हालिया अध्ययन में यह 

बात सामने आई है कि अलसी में ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाने का गुण

पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन कैंसर से बचाता है। यह हार्मोन के प्रति संवेदनशील 

होता है और ब्रेस्ट कैंसर के ड्रग टामॉक्सीफेन पर असर नहीं डालता है। 2. कार्डियो वेस्कुलर डिजीज: 

शोध से पता चला है कि अलसी में पाया जाने वाला प्लांट ओमेगा-3 जलन को कम और हृदय गति 

को सामान्य कर कार्डियो वेस्कुलर सिस्टम को बेहतर बनाता है। कई शोध से यह बात सामने आई 

है कि ओमेगा-3 से भरपूर भोजन से धमनियां सख्त नहीं होती है। साथ ही यह व्हाइट ब्लड सेल्स 

को ब्लड वेसल के आंतरिक परत पर चिपका देता है, जिससे धमनियों में प्लैक कम मात्रा में जमा

 होता है। 3. मधुमेह: प्राथमिक शोध से पता चला है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड

 सुगर लेवल बेहतर होता है। 4. जलन: फिट्जपैट्रिक की मानें तो अलसी में पाए जाने वाले एएलए 

और लिगनन जलन को कम करता है, जो कि पार्किंनसन डिजीज और अस्थमा को जन्म देता है। 

दरअसल यह कुछ प्रो-इंफ्लैमटॉरी एजेंट के स्राव को बंद कर देता है।जलन का कम होना धमनियों 

में जमा होने वाले प्लैक से संबंधित है। यानी कि अलसी हार्ट अटैक और स्ट्रोक्स को भी रोकने में 

मदद करता है। 5. हॉट फ्लैश: 2007 में महिलाओं के मासिक धर्म पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई

थी। इसमें कहा गया था कि दो चम्मच अलसी को अनाज, जूस या दही में मिला कर दिन में दो बार

 लेने से हॉट फ्लैश आधा हो जाता है। साथ ही हॉट फ्लैश की तीव्रता में भी 57 प्रतिशत तक की 

कमी आती है। सिर्फ एक हफ्ते तक लगातार अलसी का सेवन करने पर महिलाएं फर्क देख सकती 

हैं और दो हफ्ते में सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल किया जा सकता है।

अलसी कुछ सावधानियाँ







एक सज्जन आए और शिकायत करने लगे, सर आजकल अलसी खाने के बाद उबकाई आने लगती है। पहले तो ऐसा नहीं होता था। मैंने पूछा आप अलसी कैसे ले रहे हो? कहने लगे एक किलो अलसी लाया था, पीस कर डिब्बे में भर दी। रोज दो चम्मच पानी के साथ ले रहा हूँ। अरे भले मानुस यही तो गलती कर दी आपने। हम हमेशा लोगों को हिदायत देते हैं कि अलसी को अगर रोज ताजा पीस कर लें तो अच्छा। अगर ऐसा नहीं कर सकें तो दो-तीन दिन के लिए खाने योग्य मात्रा में ही पीसे इससे ज्यादा नहीं। पीसने के बाद अलसी आक्सीजन के सम्पर्क में आकर खराब होने लगती है। मुख शुद्धि का नुस्खा भी ज्यादा नहीं बनाएं। कुछ लोग तिल्ली, सौंफ और अलसी को इकट्टा पीस कर डिब्बे में भर लेते हैं और खाते रहते हैं। यह मिश्रण भी अल्प मात्रा में तैयार करें। खत्म होने पर पुनः बना लें। बाजार में इसके पाऊच भी मिलते हैं। पता नहीं वे कितने पुराने हो चुके होते हैं। अलसी को आलस बर्दाश्त नहीं है। इसलिए आलस न करें, तो अच्छा। वर्ना वांछित लाभ की जगह हानि हो सकती है। अलसी को साफ करते समय उसमें अलसी के टूटे हुए टुकड़े हों तो उन्हें भी चुन-चुन कर फेंक देना चाहिए।
1. कुछ लोगों की शिकायत है कि अलसी खाने से उन्हें कब्ज होने लगता है। ऐसा शायद इसलिए होता है कि वे पानी कम पीते हैं। शुरू में टाइट मोशन की शिकायत हो सकती है। दो-चार दिन में यह ठीक हो जाती है। ऐसे व्यक्ति अलसी का दो चम्मच पावडर प्रातःकाल गर्म जल के साथ लें तो अधिक अच्छा रहेगा।
2.जो खून पतला करने वाली दवाएं लेते हैं, उन्हें भी अलसी का सेवन डाक्टर से पूछ कर करना चाहिए। क्योंकि अलसी भी खून को पतला करती है। ऐसे में दवा की मात्रा कम करके फिर अलसी का प्रयोग किया जा सकता है।
3. अलसी की कितनी मात्रा प्रतिदिन लेनी चाहिए, इस बारे में डा.ओपी वर्मा का अभिमत है कि तीस ग्राम यानि तीन चाय चम्मच अलसी प्रतिदिन लेनी चाहिए। मेरा अनुभव इस बारे में अलग है। हर व्यक्ति की केमेस्ट्री जुदा-जुदा होती है। किसी को एक चम्मच तो किसी को तीन चम्मच अलसी की जरूरत हो सकती है। इसलिए व्यक्ति स्वयं तय करे कि उसे कितनी अलसी लेना चाहिए।
4. अलसी भून कर लें या कच्ची यह सवाल भी किया जाता है। दोनों तरह से अलसी ली जा सकती है। अगर भून कर लेते हैं, तो हल्का भूने अधिक नहीं। वैसे डा.योहान बुडविज तो कच्ची अलसी लेने की सिफारिश करती थीं।
5. कुछ लोगों ने सवाल पूछा था कि अलसी अगर पुरानी हो तो उसका सेवन करें या नहीं। मैंने अलसी गुरु डा.ओपी वर्मा से सम्पर्क किया, उनका अनुभव है कि अगर साबुत है तो पुरानी भी खाने में हर्ज नहीं है। साबुत अलसी कईं दिनों तक खराब नहीं होती।

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