Saturday 4 October 2014

तुलसी

तुलसी की उपयोगिता—
- तुलसी भोजन को शुद्ध करती है, इसी कारण ग्रहण लगने के पहले भोजन में डाल देते हैं जिससे सूर्य या चंद्र की विकृत किरणों का प्रभाव भोजन पर नहीं पड़ता।
- मृत व्यक्ति के मुंह में डाला जाता है, धार्मिक पद्धति के अनुसार उस व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त हो, ऐसा माना जाता है।
- तुलसी रक्त अल्पता के लिए रामबाण दवा है। नियमित सेवन से हीमोग्लोबीन तेजी से बढ़ता है, स्फूर्ति बनी रहती है।
- तुलसी के सेवन से टूटी हड्डियां शीघ्रता से जुड़ जाती हैं।
- तुलसी का पौधा दिन रात आक्सीजन देता है, प्रदूषण दूर करता है।
- घर बनाते समय नींव में घड़े में हल्दी से रंगे कपड़े में तुलसी की जड़ रखने से उस घर पर बिजली गिरने का डर नहीं होता।
- तुलसी की सेवा अपने हाथों से करें, कभी चर्म रोग नहीं होगा।
- खाना बनाते समय सब्जी पुलाव आदि में तुलसी के रस का छींटा देने से खाने की पौष्टिकता व महक दस गुना बढ़ जाती है।
उपयोग में सावधानी बरतें-
- तुलसी की प्रकृति गर्म है, इसलिए गर्मी निकालने के लिये। इसे दही या छाछ के साथ लें, इसकी उष्ण गुण हल्के हो जाते हैं।
- तुलसी अंधेरे में ना तोड़ें, शरीर में विकार आ सकते हैं। कारण अंधेरे में इसकी विद्युत लहरें प्रखर हो जाती हैं।
- तुलसी के सेवन के बाद दूध भूलकर भी ना पियें, चर्म रोग हो सकता है।
- तुलसी रस को अगर गर्म करना हो तो शहद साथ में ना लें। कारण गर्म वस्तु के साथ शहद विष तुल्य हो जाता है।
- तुलसी के साथ दूध, मूली, नमक, प्याज, लहसुन, मांसाहार, खट्टे फल ये सभी का सेवन करना हानिकारक है।
- तुलसी के पत्ते दांतो से चबाकर ना खायें, अगर खायें हैं तो तुरंत कुल्लाकर लें। कारण इसका अम्ल दांतों के एनेमल को खराब कर देता है।

तुलसी सेवन का तरीका
- इसे प्रातः खाली पेट लेने से लाभ होता है।
- इसके पत्तों को सुखाना हो तो छाया में सुखाएं।
- फायदे को देखते हुए एक साथ अधिक मात्रा में ना लें।
- बिना उपयोग तुलसी के पत्तों को तोड़ना उसे नष्ट करने के बराबर है।

तुलसी से स्वास्थ्य लाभ
- श्याम तुलसी(काली तुलसी) पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। आंखों का पीलापन ठीक होता है। आंखों की लाली दूर करता है।
- तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की रोशनी बढ़ती है।
- तुलसी के चार-पांच ग्राम बीजों का मिश्री युक्त शर्बत पीने से आंव ठीक रहता है।
- तुलसी के पत्तों को चाय की तरह पानी में उबाल कर पीने से आंव (पेंचिस) ठीक होती है।
- अदरक या सोंठ, तुलसी, कालीमिर्च, दालचीनी थोड़ा-थोडा सबको मिलाकर एक ग्लास पानी में उबालें, जब पानी आधा रह जाए तो शक्कर नमक मिलाकर पी जाएं। इससे फ्लू , खांसी, सर्दी, जुकाम ठीक होता है।
- कभी-कभी किसी व्यक्ति में अधिक उत्तेजन (पागलपन) आ जाता है, ऐसे में लगातार तुलसी की पत्तियां सूंघे, मसलकर चबाएं, इसके रस को लें, सारे शरीर पर लगाएं, इससे पागलपन की उत्तेजना ठीक होने में लाभ मिलता है।
- तुलसी की 4-5 पत्तियां, नीम की दो पत्ती के रस को 2-4 चम्मच पानी में घोट कर पांच-सात दिन प्रातः खाली पेट सेवन करें, उच्च रक्तचाप ठीक होता है।
» कुष्ठ रोग में तुलसी की पत्तियां रामबाण सा असर करती हैं।खायें तथा पीसकर लगायें भी
- तुलसी के पत्तों का रस एक्जिमा पर लगाने, पीने से एक्जिमा में लाभ मिलता है।
- तुलसी के हरे पत्तों का रस (बिना पानी में डाले) गर्म करके सुबह शाम कान में डालें, कम सुनना, कान का बहना, दर्द सब ठीक हो जाता है।
- तुलसी के रस में कपूर मिलाकर हल्का गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है।
- कनपटी के दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस मलने से बहुत फायदा होता है।
- 10-12 तुलसी के पत्ते तथा 8-10 काली मिर्च के चाय बनाकर पीने से खांसी जुकाम, बुखार ठीक होता है।
- तुलसी के सूखे पत्ते ना फेंके. ये कफ नाशक के रूप में काम में लाये जा सकते हैं।
- तुलसी के पत्तों के साथ 4 भुनी लौंग चबाने से खांसी जाती है।-» तुलसी के पत्ते 10, काली मिर्च 5 ग्राम, सोंठ 15 ग्राम, सिके चने का आटा 50 ग्राम और गुड़ 50 ग्राम, इन सबको पान व अदरक में घोंट लें तथा एक एक ग्राम की गोलियां बना लें। जब भी खांसी हो सेवन करें।
- तुलसी व अदरक का रस एक एक चम्मच, शहद एक चम्मच, मुलेठी का चूर्ण एक चम्मच मिलाकर सुबह शाम चाटें, यह खांसी की अचूक दवा है। —

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