Thursday, 9 October 2014

शनि की साढ़ेसाती के उपाय - शनि को अनुकूल करने के सिद्ध उपाय :शनिदेव को प्रसन्न कैसे करें :शनि की साढ़ेसाती व ढैया के उपाय: शनि की साढे़साती के अशुभ फलों के उपाय sani dosh upay

शनि की साढ़ेसाती  के उपाय -  शनि को अनुकूल करने के सिद्ध उपाय :शनिदेव को प्रसन्न कैसे करें :शनि की साढ़ेसाती व ढैया के उपाय: शनि की साढे़साती के अशुभ फलों के उपाय sani dosh upay
  

शनि को अनुकूल करने के सिद्ध उपाय -

१. खाली पेट नाश्ते से पूर्व काली मिर्च चबाकर गुड़ या बताशे से खाएं.
२. भोजन करते समय नमक कम होने पर काला नमक तथा मिर्च कम होने पर काली मिर्च का प्रयोग करें.
३. भोजन के उपरांत लोंग खाये.
४. शनिवार व मंगलवार को क्रोध न करें.
५. भोजन करते समय मौन रहें.
६. प्रत्येक शनिवार को सोते समय शरीर व नाखूनों पर तेल मसलें.
७. मॉस, मछली, मद्य तथा नशीली चीजों का सेवन बिलकुल न करें.
८. घर की महिला जातक के साथ सहानुभूति व स्नहे बरते. क्योकि जिस घर में गृहलक्ष्मी रोती है उस घर से शनि की सुख-शांति व समृद्धि रूठ जाती है. महिला जातक के माध्यम से शनि प्रधान व्यक्ति का भाग्य उदय होता है.
९. गुड़ व चनें से बनी वस्तु भोग लगाकर अधिक से अधिक लोगों को बांटना चाहिए.
१०. उड़द की दाल के बड़े या उड़द की दाल, चावल की खिचड़ी बाटनी चाहिए. प्रत्येक शनिवार को लोहे की कटोरी में तेल भरकर अपना चेहरा देखकर डकोत को देना चाहिए. डकोत न मिले तो उसमे बत्ती लगाकर उसे शनि मंदिर में जला देना चाहिए.
११. प्रत्येक शनि अमावस्या को अपने वजन का दशांश सरसों के तेल का अभिषेक करना चाहिए.
१२. शनि मृत्युंजय स्त्रोत दशरथ कृत शनि स्त्रोत का ४० दिन तक नियमित पाठ करें.
१३. काले घोड़े की नाल अथवा नाव की कील से बना छल्ला अभिमंत्रित करके धारण करना शनि के कुप्रभाव को हटाता है.
१४. जिस जातक के परिवार, घर में रिश्तेदारी, पड़ोस में कन्या भ्रूण हत्या होती है. जातक प्रयास कर इसे रोकेगा तो शनि महाराज उससे अत्यंत प्रसन्न होते है. 


१. शनि देव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है, जिस घर में माता पिता व वृद्ध जनों का सम्मान होता है उस घर से शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं तथा जिस घर में वृद्ध का अपमान होता है उस घर से खुशहाली दूर भागती है. जैसे-जैसे व्यक्ति वृद्ध होता है उसे भूख कम लगने लगती है. नींद कम आती है वह काम वासना से विमुख हो जाता है. उसमे लोक कल्याण की भावना जाग्रत हो जाती है. ये सभी गुण देवताओं के हैं. कहने का तात्पर्य है की वृद्ध अवस्था में व्यक्ति देवत्व प्राप्त करता है. इसलिए पाठको को शनि कृपा प्राप्त करने के लिए वृद्ध जनों की सेवा सर्वोपरि है.
२. शनि को दरिद्र नारायण भी कहते हैं इसलिए दरिद्रो की सेवा से भी शनि प्रसन्न होते हैं.
३. असाध्य व्यक्ति को काला छाता, चमडे के जूते चप्पल पहनाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
४. शनि देव को उड़द की दाल की बूंदी के लड्डू बहुत प्रिय है अत: शनिवार को लड्डू का भोग लगाकर बांटना चाहिए.
५. शनिवार को तेल मालिश कर नहाना चाहिए.
६. लोहे की कोई वस्तु शनि मंदिर दान करनी चाहिए. वह वस्तु ऐसी हो जो मंदिर के किसी काम आ सके.
७. शनि मंदिर में बैठकर ॐ ए श्री श्री शानेश्चारय का जाप करना चाहिए.
८. शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए भगवान भोलेनाथ व हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए. शनि चालीसा, शिव चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान बाहुक व हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए.
९. शनि सम्बन्धी कथा पढ़े.
१०. नीलम रत्न के साथ पन्ना रत्न भी धारण करें.
११. मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं.
१२. हर शनिवार और मंगलवार को काले कुत्ते को मीठा पराठा खिलायें.
१३. भैरव उपासना भी अनिष्ठो में सर्वाधिक लाभदायक है.
१४. ताप के रूप में शनिवार का श्री हनुमान जी व शनि मंदिर में पीपल का पेड़ हो तो संध्या के समय दीपक जलना शनि, हनुमान और भैरव जी के दर्शन अत्यंत लाभकारी है.
१५. शनि व्रत करें तथा एक समय बिना नमक का भोजन लें.
१५. कपूर को नारियल के तेल में डालकर सिर में लगायें, भोजन में उड़द की दाल का अत्यधिक सेवन करें, झूठ, कपट, मक्कारी धोखे से बचे, रहने के स्थान पर अँधेरा, सूनापन व खंडहर की स्थति न होने दे.
१६. शनिवार को काले तिल का कपडछन पावडर चुटकी व दो बूंद सरसों का तेल पानी में डालकर तिलातेल स्नान करें.
१७. शनि मंदिर में काले चनें, कच्चा कोयला, काली हल्दी, काले तिल, काला कम्बल और तेल दे.
१८. शनि मंदिर में जाकर कम से कम परिक्रमा व दंडवत प्रणाम करें.
१९. १६ शनिवार सूर्यास्त्र के समय एक पानी वाला नारियल, ५ बादाम, कुछ दक्षिणा शनि मंदिर में चढायें.
२०. शनि मंदिर से शनि रक्षा कवच या काला धागा हाथ में बांधने के लिए अवश्य लें.
२१. शनि की शुभ फल प्राप्ति के लिए दक्षिण दिशा में सिराहना कर सोयें. व पश्चिम दिशा में मुख कर सारे कार्य करें व अपने देवालय में शनि का आसन अवश्य बनायेँ.
२२. प्रत्येक शुभ कार्य में पूर्व कार्य बाधा निवारण के लिए प्रार्थना करके हनुमान व शनि देव के नाम का नारियल फोड़े.
२३. प्रत्येक शनिवार को रात्रि में सोते समय आँखों में काजल या सुरमा लगायें व शनिवार का काला कपडा अवश्य पहने.
२४. महिलाओं से अपने भाग्य उदय के लिए सहयोग, समर्थन व मार्गदर्शन प्राप्त करें तो प्रगति होगी.
२५. अपनों से बड़ी उम्र वालें व्यक्ति का सहयोग प्राप्त करें व अपनी से छोटी जाती व निर्बल व्यक्ति की मदद करें.
२६. प्रति महा की अमावस्या आने से पूर्व अपने घर व व्यापार की सफाई व धुलाई अवश्य करें व तेल का दीपक जलाएं.
२७. शनि अमावस्या, शनि जयंती या शनिवार को बन पड़े तो शनि मंदिर में नंगे पैर जाएँ.


 कैसे करें शनिदेव को प्रसन्न शनि भक्तों को इस दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवंती का फूल, तिल, तेल, गु़ड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए।
* शनि अमावस्या के दिन या रात्रि में शनि चालीसा का पाठ, शनि मंत्रों का जाप एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।
* इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
* तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें।
* उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्रनारायण को दान करें।
* अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें।
* शनि यंत्र, शनि लॉकेट, काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें।
* इस दिन नीलम या कटैला रत्न धारण करें। जो फल प्रदान करता है।
* काले रंग का श्वान इस दिन से पालें और उसकी सेवा करें।
* शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने*अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।
* शनि महाराज की पूजा के पश्चात राहु और केतु की पूजा भी करनी चाहिए।
* इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
* शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।
* शनि की शांति के लिए नीलम को तभी पहना जा सकता है।
* शनिश्वर के भक्तों को संध्या काल में शनि मंदिर में जाकर दीप भेंट करना चाहिए और उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर शनि महाराज को भोग लगाना चाहिए। शनिदेव का आशीर्वाद लेने के पश्चात आपको प्रसाद स्वरूप खिचड़ी खाना चाहिए।
* सूर्यपुत्र शनिदेव की प्रसन्नता हेतु इस दिन काली चींटियों को गु़ड़ एवं आटा देना चाहिए।
* इस दिन काले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए।
* श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारंभ करना अति मंगलकारी माना जाता है।
इस प्रकार भक्ति एवं श्रद्धापूर्वक शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत एवं पूजन करने से शनि का कोप शांत होता है और शनि की दशा के समय उनके भक्तों को कष्ट की अनुभूति नहीं होती है।
 
शनि की साढ़ेसाती व ढैया के उपाय
व्रत
शनिवार का व्रत रखें। व्रत के दिन शनिदेव की पूजा (कवच, स्तोत्र, मंत्र जप) करें। 
 शनिवार व्रत कथा पढ़ना भी लाभकारी रहता है।
 व्रत में दिन में दूध, लस्सी तथा फलों के रस ग्रहण करें। सायंकाल हनुमानजी या भैरवजी का दर्शन करें।
 काले उड़द की खिचड़ी (काला नमक मिला सकते हैं) या उड़द की दाल का मीठा हलवा ग्रहण करें।
दान
 
 शनि की प्रसन्नता के लिए उड़द, तेल, इन्द्रनील (नीलम), तिल, कुलथी, भैंस, लोह, दक्षिणा और श्याम वस्त्र दान करें। किसी भी शनि मंदिरों में शनि की वस्तुओं जैसे काले तिल, काली उड़द, काली राई, काले वस्त्र, लौह पात्र तथा गुड़ का दान करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
रत्न/धातु
शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सतह की कील का बना छल्ला मध्यमा में धारण करें।
औषधि
प्रति शनिवार सुरमा, काले तिल, सौंफ, नागरमोथा और लोध मिले हुए जल से स्नान करें।
 
 शनि की साढे़साती के अशुभ फलों के उपाय  
1. राजा दशरथ विरचित शनि स्तोत्र के सवा लक्ष जप। 
2. शनि मंदिर या चित्र पूजन कर प्रतिदिन इस मंत्र का पाठ करें:-
नमस्ते कोण संस्थाय, पिंगलाय नमोस्तुते। नमस्ते वभु्ररूपाय, कृष्णाय च नमोस्तुते ।।
नमस्ते रौद्रदेहाय, नमस्ते चांतकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय, नमस्ते सौरये विभौ।।
नमस्ते मंदसंज्ञाय, शनैश्चर नमोस्तुते।
प्रसादं कुरू में देवेश, दीनस्य प्रणतस्य च।।
3. घर में पारद और स्फटिक शिवलिंग (अन्य नहीं) एक चौकी पर, शुचि बर्तन में स्थापित कर, विधानपूर्वक पूजा अर्चना कर, रूद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।
4. सुंदरकाण्ड का पाठ एवं हनुमान उपासना, संकटमोचन का पाठ करें।
5. हनुमान चालीसा, शनि चालीसा और शनैश्चर देव के मंत्रों का पाठ करें। ऊँ शं शनिश्चराय नम:।।
6. शनि जयंती पर, शनि मंदिर जाकर, शनिदेव का अभिषेक कर दर्शन करें।
7. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: के 23,000 जप करें फिर 27 दिन तक शनि स्तोत्र के चार पाठ रोज करें। 


अन्य उपाय 


1. शनिवार को सायंकाल पीपल के पेड के नीचे मीठे तेल का दीपक जलाएं।
2. घर के मुख्य द्वार पर, काले घोडे की नाल, शनिवार के दिन लगावें।
3. काले तिल, ऊनी वस्त्र, कंबल, चमडे के जूते, तिल का तेल, उडद, लोहा, काली गाय, भैंस, कस्तूरी, स्वर्ण, तांबा आदि का दान करें।
4. शनिदेव के मंदिर जाकर, उन्हें काले वस्त्रों से सुसज्जित कराकर यथाविध काले गुलाब जामुन का प्रसाद चढाएं।
5. घोडे की नाल अथवा नाव की कील का छल्ला बनवाकर मघ्यमा अंगुली में पहनें।
6. अपने घर के मंदिर में एक डिबिया में सवा तीन रत्ती का नीलम सोमवार को रख दें और हाथ में 12 रूपये लेकर प्रार्थना करें शनिदेव ये आपके नाम के हैं फिर शनिवार को इन रूपयों में से 10 रूपये के सप्तधान्य (सतनाज) खरीदकर शेष 2 रूपये सहित झाडियों या चींटी के बिल पर बिखेर दें और शनिदेव से कष्ट निवारण की प्रार्थना करें।
7. कडवे तेल में परछाई देखकर, उसे अपने ऊपर सात बार उसारकर दान करें, पहना हुआ वस्त्र भी दान दे दें, पैसा या आभूषण आदि नहीं।
8. शनि विग्रह के चरणों का दर्शन करें, मुख के दर्शन से बचें।
9. शनिव्रत : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष से, शनिव्रत आरंभ करें, 33 व्रत करने चाहिएँ, तत्पश्चात् उद्यापन करके, दान करें।

अन्य उपाय
शनिवार को सायंकाल पीपल वृक्ष के चारों ओर 7 बार कच्चा सूत लपेटें, इस समय शनि के किसी मंत्र का जप करते रहें।

 फिर पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें तथा ज्ञात अज्ञात अपराधों के लिए क्षमा मांगें। * शनिवार को अपने हाथ की नाप का 19 हाथ काला धागा माला बनाकर पहनें।
* शनि अमावस्या के दिन 108 बेलपत्र की माला भगवान शिव के शिवलिंग पर चढाए।

 साथ ही अपने गले में गौरी शंकर रुद्राक्ष 7 

दानें लाल धागें में धारण करें।
शनि अमावस्या शुभ हो
शनि अमावस्या पर शनिदेव से अपने बुरे कर्मों के लिए माफ़ी मांग लें और निम्न मंत्रों का जाप करें
शनि मंत्र व स्तोत्र सर्वबाधा निवारक वैदिक गायत्री मंत्र:-  

  ‘ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो शनि: प्रचोदयात्।’
प्रतिदिन श्रध्दानुसार शनि गायत्री का जाप करने से घर में सदैव मंगलमय वातावरण बना रहता है।
वैदिक शनि मंत्र 

  ‘ॐ शन्नोदेवीरमिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्रवन्तुन:।’
शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे पवित्र और अनुकूल मंत्र है इसकी दो माला सुबह शाम करने से शनिदेव की भक्ति व प्रीति मिलती है।
कष्ट निवारण शनि मंत्र नीलाम्बर: 

  ‘शूलधर: किरीटी गृघ्रस्थितस्त्रसकरो धनुष्मान्। चर्तुभुज: सूर्यसुत: प्रशान्त: सदाऽस्तुं मह्यं वरंदोऽल्पगामी॥’
इस मंत्र से अनावश्यक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

 प्रतिदिन एक माला सुबह शाम करने से शत्रु चाह कर भी नुकसान नहीं पहुंचा पायेगा।
सुख-समृध्दि दायक शनि मंत्र 

  ‘कोणस्थ:पिंगलो वभ्रु: कृष्णौ रौद्रान्त को यम:। सौरि: शनैश्चरौ मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:॥’
इस शनि स्तुति को प्रात:काल पाठ करने से शनिजनित कष्ट नहीं व्यापते और सारा दिन सुख पूर्वक बीतता है।
शनि पत्नी नाम स्तुति 

  ‘ॐ शं शनैश्चराय नम: ध्वजनि धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
 कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा॥
 ॐ शं शनैश्चराय नम:’
यह बहुत ही अद्भुत और रहस्यमय स्तुति है यदि आपको कारोबारी, पारिवारिक या शारीरिक समस्या हो।

 इस मंत्र का विधिविधान से जाप और अनुष्ठान किया जाये तो कष्ट आपसे कोसों दूर रहेंगे। 
 
शनि देव को मनाने के लिए सबसे सरल और प्रचलित उपाय है तेल चढ़ाना।
 शनि की साढ़ेसाती हो या शनि की ढय्या या शनि का अन्य कोई दोष, उपाय सभी राशि के लोगों के लिए रामबाण उपाय है।
 हर शनिवार जो भी व्यक्ति शनिदेव को तेल अर्पित करता है उसे शनि की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
 शनि जयंती के दिन भी शनि को तेल अर्पित अवश्य करें।
शनि के नाम पर काली वस्तुओं जैसे काली उड़द, काले तिल, लौहे के बर्तन, तवा, काला कंबल, काले वस्त्र, जूते आदि का दान करना चाहिए।
 यदि केवल शनि जयंती के दिन भी इनमें से किसी एक चीज का दान कर सकें तो अवश्य करें।  यह उपाय भी आपको शनि दोष से मुक्ति दिलाएगा।
 
जो भी लोग गलत कार्य करते हैं उन्हें अब सावधान हो जाना चाहिए।
अन्यथा शनि के कोप का पात्र बनना पड़ सकता है।
 शनि जयंती पर हनुमानजी को चोला चढ़वाना अति शुभ होगा।
 इसके साथ ही हमें स्वयं के शरीर पर तेल मालिश करना चाहिए।
गरीबों को अन्न, जल का दान करें।
 स्वयं के पुराने वस्त्रों का त्याग करें और जरूरतमंद को दान करें।
शनि जयंती पर खाने में तली हुई चीजों का सेवन लाभकारी होगा।
शनि जयंती पर बनने वाले दुर्लभ योग में लक्ष्मी का पूजन एवं हवन का भी श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है।
पितरों को श्राद्ध उनका असीम तृप्ति प्रदान करेगा।
 ध्यान रखें शाम होने के बाद तीर्थों के जल में स्नान नहीं करें।
 शनिवार की रात में पीपल के चारों ओर घी का दीपक लगाएं एवं उड़द की दाल का छिड़काव करें।
 शनि देव को मनाने के लिए सबसे सरल और प्रचलित उपाय है तेल चढ़ाना।
शनि की साढ़ेसाती हो या शनि की ढय्या या शनि का अन्य कोई दोष, 

पाय सभी राशि के लोगों के लिए रामबाण उपाय है। हर शनिवार जो भी 
व्यक्ति शनिदेव को तेल अर्पित करता है उसे शनि की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शनि जयंती के दिन भी शनि को तेल अर्पित अवश्य करें।
शनि के नाम पर काली वस्तुओं जैसे काली उड़द, काले तिल, लौहे के बर्तन, तवा, काला कंबल, काले वस्त्र, जूते आदि का दान करना चाहिए।
यदि केवल शनि जयंती के दिन भी इनमें से किसी एक चीज का दान कर सकें तो अवश्य करें। यह उपाय भी आपको शनि दोष से मुक्ति दिलाएगा|



शनि के बुरे समय बचने का ये है अचूक उपाय :
यदि किसी व्यक्ति से जाने-अनजाने कोई पाप या गलत कार्य हो गया है तो शनिदेव ऐसे लोगों को निश्चित समय पर इन कर्मों का फल प्रदान करते हैं। ज्योतिष के अनुसार शनि को न्यायाधिश का पद प्राप्त है। इसी वजह से इन्हें क्रूर देवता माना जाता है। हमारे द्वारा किए गए कर्मों का फल शनिदेव साढ़ेसाती और ढैय्या के समय में प्रदान करते हैं।
यदि किसी व्यक्ति को अत्यधिक कष्ट भोगना पड़ रहे हैं तो इन अशुभ फलों के प्रभावों को कम करने के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय बताए गए हैं।
कुछ लोगों की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हो तो उसे जीवनभर कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं। ऐसे में प्रति शनिवार यह उपाय अपनाएं-
शनिवार को प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठें और नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि करके पवित्र हो जाएं। इसके बाद जल, दूध, तिल्ली के तेल का दीपक लेकर किसी पीपल के वृक्ष के समीप जाएं। अब पीपल पर जल और दूध अर्पित करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष के नीचे तिल्ली के तेल के दीपक को प्रज्जवलित करें। शनिदेव प्रार्थना करें कि आपकी सभी समस्याएं दूर हो और बुरे समय से पीछा छुट जाए। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।
घर लौट कर एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर इस तेल का दान करें। ऐसा करने पर कुछ ही समय में आपको सकारात्मक फल प्राप्त होने लगेंगे। इसके प्रभाव से आपके घर की पैसों से जुड़ी समस्त समस्याएं दूर होने लगेंगी और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलेगी।
शनि साढेसाती के तीन चरण
 शनि साढेसाती में शनि तीन राशियों पर गोचर करते है. तीन राशियों पर शनि के गोचर को साढेसाती के तीन चरण के नाम से भी जाना जाता है. अलग- अलग राशियों के लिये शनि के ये तीन चरण अलग - अलग फल देते है. शनि कि साढेसाती के नाम से ही लोग भयभीत रहते है.
जिस व्यक्ति को यह मालूम हो जाये की उसकी शनि की साढेसाती चल रही है, वह सुनकर ही व्यक्ति मानसिक दबाव में आ जाता है. आने वाले समय में होने वाली घटनाओं को लेकर तरह-तरह के विचार उसके मन में आने लगते है.
शनिशनि की साढेसाती को लेकर जिस प्रकार के भ्रम देखे जाते है. वास्तव में साढेसाती का रुप वैसा बिल्कुल नहीं है. आईये शनि के चरणों को समझने का प्रयास करते है-
साढेसाती चरण-फल विभिन्न राशियों के लिये
साढेसाती का प्रथम चरण - वृ्षभ, सिंह, धनु राशियों के लिये कष्टकारी होता है.
द्वितीय चरण या मध्य चरण- मेष, कर्क, सिंह, वृ्श्चिक, मकर राशियों के लिये अनुकुल नहीं माना जाता है.
अन्तिम चरण- मिथुन, कर्क, तुला, वृ्श्चिक, मीन राशि के लिये कष्टकारी माना जाता है.
इसके अतिरिक्त तीनों चरणों के लिये शनि की साढेसाती निम्न रुप से प्रभाव डाल सकती है-
प्रथम चरण :इस चरणावधि में व्यक्ति की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है. आय की तुलना में व्यय अधिक होते है. विचारें गये कार्य बिना बाधाओं के पूरे नहीं होते है. धन विषयों के कारण अनेक योजनाएं आरम्भ नहीं हो पाती है. अचानक से धन हानि होती है. व्यक्ति को निद्रा में कमी का रोग हो सकता है. स्वास्थय में कमी के योग भी बनते है. विदेश भ्रमण के कार्यक्रम बनकर -बिगडते रह्ते है. यह अवधि व्यक्ति की दादी के लिये विशेष कष्टकारी सिद्ध होती है. मानसिक चिन्ताओं में वृ्द्धि होना सामान्य बात हो जाती है. दांम्पय जीवन में बहुत से कठिनाई आती है. मेहनत के अनुसार लाभ नहीं मिल पाते है.
द्वितीय चरण :
व्यक्ति को शनि साढेसाती की इस अवधि में पारिवारिक तथा व्यवसायिक जीवन में अनेक उतार-चढाव आते है. उसे संबन्धियों से भी कष्ट होते है. व्यक्ति को अपने संबन्धियों से कष्ट प्राप्त होते है. उसे लम्बी यात्राओं पर जाना पड सकता है. घर -परिवार से दूर रहना पड सकता है. व्यक्ति के रोगों में वृ्द्धि हो सकती है. संपति से संम्बन्धित मामले परेशान कर सकते है.
मित्रों का सहयोग समय पर नहीं मिल पाता है. कार्यो के बार-बार बाधित होने के कारण व्यक्ति के मन में निराशा के भाव आते है. कार्यो को पूर्ण करने के लिये सामान्य से अधिक प्रयास करने पडते है. आर्थिक परेशानियां भी बनी रह सकती है.
तीसरा चरण :
शनि साढेसाती के तीसरे चरण में व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी होती है. उसके अधिकारों में कमी होती है. आय की तुलना में व्यय अधिक होते है. स्वास्थय संबन्धी परेशानियां आती है. परिवार में शुभ कार्यो बाधित होकर पूरे होते है. वाद-विवाद के योग बनते है. संतान से विचारों में मतभेद उत्पन्न होते है. संक्षेप में यह अवधि व्यक्ति के लिये कल्याण कारी नहीं रह्ती है. जिस व्यक्ति की जन्म राशि पर शनि की साढेसाती का तीसरा चरण चल रहा हों, उस व्यक्ति को वाद-विवादों से बचके रहना चाहिए.
शनि की साढेसाती : सोने से कुण्दन बनने के साढेसात साल
शनि की महादशा व्यक्ति के संघर्ष व मेहनत की आग मे तपा कर सोने से कुण्दन बनाने के समान काम करती है. चन्द्र के ज्योतषि शास्त्र मे मन व मानसिक स्थिति का कारक कहा गया है . तथा शनि के जन्मों का न्याय करके कष्ट देने वाला ग्रह कहा गया है.
शनि की साढेसाती की अवधि मे चन्द्र जिसे कोमल मन कहा है. तथा शनि को भारी पत्थर के समान कहा जाता है. साढेसाती की अवधि मे व्यक्ति के फूल समान मन पर शनि के कष्टों का भार पत्थर के समान पडता है. इस स्थिति मे कष्ट होना तो स्वभाविक ही है.
अलग अलग व्यक्तियों की कष्टों के सहने की क्षमता अलग अलग होती है. कुछ इस परीक्षा मे तप कर कुन्दन बन जाते है. और उन्हे जीवन मे सफलता की ऊंचाईयां छूने का अवसर मिलता है. और जो ऐसा नही कर पाते है. उन्हे निराशा का सामना करना पडता है.
शनि की साढेसाती अनेक बिन्दुऔ से प्रभावित होती है. जन्मागं मे शनि का योंगकारक होकर शुभ स्थिति मे होना. तथा शनि की महादशा मे शनि की साढेसाती आने पर व्यक्ति अपने जीवन की सर्वोच्च उन्नति व सफलता के प्राप्त करता है . कुण्डली मे राजयोग व धनयोग अधिक होने पर शनि महादशानाथ होकर शनि की साढेसाती मे शुभ फल मिलने की संभावनाए बढ जाती है.
कोई भी गोचर का ग्रह अकेला फल नही देता और न ही घटना के घटित करता है . वह जन्मागं मे अपनी स्थिति के अनुसार शुभ फलों के कम या ज्यादा करता है. इसलिए कुण्डली मे शनि के शुभ होने पर साढेसाती भी अच्छी ही रहती है.
ज्योतष शास्त्र के अनुसार शनि देव जब अपनी राशि के अंत यानि २० अंश से ३० अंश के मध्य होते है. तभी फलों मे शुभता मे कमी या बढोतरी करते है. साढेसाती के पूरे साढेसात साल की अवधि मे नही. इस लिए पूरी साढेसात साल की अवधि से घबराने की आवश्यकता नही है.
जन्मागं मे शनि के अशुभ रुप मे स्थित होने पर भी अगर गोचर के शनि शुभ फल देने की स्थिति मे है. तो अशुभ फलों मे अपने आप कमी आ जायेगी. इसके विपरीत कुण्डली मे अशुभ होने पर, गोचर मे भी स्थिति अच्छी न हो तो मिलने वाले अवश्य ही अशुभ फल रहेगे. इस स्थिति मे भी शनि का वक्री या मार्ग होना फलों मे परिवर्तन कर देगा .
शनि की साढेसाती की अवधि के अशुभ फल देने वाली न मानकर व्यक्ति के उसके शुभ बिन्दुओं पर विचार करके अधिक मेहनत व लगन से स्वयं के इस अवधि मे सोने से कुण्दन बनाने का प्रयास करना चाहिए .

शनि ग्रह के प्रभाव में वृद्धि करने के उपाय
द्वारा: kushwahji     लेखक : हस्तरेखा विशेषज्ञ कुशवाह शैलेन्द्र सिंह
 
शुभ शनि के लिए उपाय
शुभ तथा सम शनि ग्रह के प्रभाव में वृद्धि करने के लिए निम्नलिखित उपाय करें।
१. शनिवार को नीलम रत्न धारण करें। नीलम रत्न चांदी अथवा लोहे की अंगूठी में मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। अंगूठी इस प्रकार बनवाएं कि नीलम नीचे से आपकी त्वचा को छूता रहे। नीलम धारण करने से पहले नीलम की अंगूठी अथवा लॉकेट को गंगा जल अथवा कच्चे दूध से धोकर सामने रखकर धूप-दीप आदि दिखाएं और १०८ बार इस मंत्र का जाप करें: क्क शं शनैश्चराय नमः। १०८ बार शिवजी के मंत्र क्क नमः शिवाय का जाप कर लेना भी बहुत लाभदायक माना गया है।
२. शनिवार को नीले वस्त्र धारण करें।
३. घर में नीली चद्दरों तथा पर्दों आदि का प्रयोग करें।
४. शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का व्यापार करें। शनि ग्रह से संबंधित वस्तुएं हैं :- लोहा, काली उड़द, काला तिल, कुलथी, तेल, भैंस काला कुत्ता, काला घोड़ा, काला कपड़ा, तथा लोहे से बने बर्तन व मशीनरी आदि।
५. साबुत माल की दाल घर में बनाएं।
६. शनिवार को काले घोड़े की नाल की अंगूठी अथवा कड़ा धारण करें।
७. अपने इष्टदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
८. २७ शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें।
९. चारपाई अथवा बेड के चारों पायों में लोहे का एक-एक कील लगााएं।
१०. मकान के चारों कोनों में लोहे का एक-एक कील लगाएं।
११. दस मुखी, ग्यारह मुखी, अथवा तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
१२. शिंगणापुर शनिदेव का एक बार दर्शन अवश्य करें।
१३. गीदड़ सिंही अपने घर में रखें।
१४. घर में काला कुत्ता पालें।
१५. शनि ग्रह के प्रभाव में वृद्धि करने के लिए हत्था जोड़ी की जड़ धारण की जाती है। इसे आप शनि की होरा में शनिवार के दिन उखाड़ कर लाएं और सुखाने के उपरान्त शनिवार के दिन स्वच्छ वस्त्र में बांध कर ताबीज के रूप में धारण करें।
अशुभ शनि की पहचान
जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन, आलसी, दुःखी, कम शक्तिवान, व्यापार में हानि उठाने वाला, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला, अल्पायु निराशावादी, जुआरी, कान का रोगी, कब्ज का रोगी, जोड़ों के दर्द से पीड़ित, वहमी, उदासीन, नास्तिक, बेईमान, तिरस्कृत, कपटी, अधार्मिक तथा मुकदमें व चुनावों में पराजित होने वाला बनाता है।
अशुभ शनि के लिए उपाय
शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिएं :
१. शनि ग्रह के तांत्रिक मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है क्क प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। शनि मन्त्र के अनुष्ठान की मन्त्र जाप संख्या है २३,००० है।
२. शनि ग्रह का यंत्र गले में धारण करें।
३. शनि ग्रह का यंत्र अपने पूजास्थल अथवा घर के मुख्य द्वार पर स्थापित करें।
४. शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें। शनि ग्रह की वस्तुएं हैं काला उड़द, तेल, नीलम, काले तिल, कुलथी, लोहा तथा लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा, सुरमा आदि।
५. शनिवार को कीड़े-मकोड़ों को काले तिल डालें।
६. शनिवार को काली माह (काले उड़द) की दाल पीस कर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
७. शनिवार को श्मशान घाट में लकड़ी दान करें।
८. सात शनिवार सरसों का तेल सारे शरीर में लगाकर और मालिश करके साबुन लगााकर नहाएं।
९. शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुएं न दान में लें और न ही बाजार से खरीदें।
१०. सात शनिवार को सात बादाम तथा काले उड़द की दाल धर्म स्थान में दान करें।
११. शराब तथा सिगरेट का प्रयोग न करें।
१२. सपेरे को सांप को दूध पिलाने के लिए पैसे दान करें।
१३. शनिवार को व्रत करें। व्रत की विधि इस प्रकार है :
(क) शनिवार को व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से शुरु करें।
(ख) शनि ग्रह का व्रत प्रत्येक शनिवार को ही रखें।
(ग) शनि ग्रह के व्रतों की संख्या कम-से-कम १८ होनी चाहिए। तथापि पूर्ण लाभ के लिए लगातार एक वर्ष तक व्रत रखें।
(घ) भोजन के रूप में उड़द के आटे का बना भोजन, तेल में पकी वस्तु शनिदेव को भोग लगााकर या काले कुत्ते या गरीब को देकर रोज वस्तु का सेवन करें।
(ड़) भोजन का सेवन शनि का दान देने के पश्चात्‌ ही करें। शनि ग्रह के दान में काले उड़द, सरसों का तेल, तिल, कुलथी, लोहा या लोहे से बनी कोई वस्तु, नीलम रत्न या उसका उपरत्न, भैंस, काले कपड़े सम्मिलित हैं। यह दान दोपहर को या सांयकाल के समय किसी गरीब भिखारी को दें।
(च) भोजन से पूर्व एक बर्तन में भोजन तथा काले तिल या लौंग मिलाकर पश्चिम की ओर मुंह करके पीपल के पेड़ की जड़ में डाल दें।
(छ) व्रत के दिन नमक वर्जित है।
(ज) व्रत के दिन शनि के बीज मंत्र का २३,००० जाप करें या कम-से-कम ८ माला जाप करें।
(झ) व्रत के दिन सिर पर भष्म का तिलक करें तथा काले रंग के कपड़े पहनें।
(ञ) जब व्रत का अन्तिम शनिवार हो तो शनि मंत्र से हवन कराकर भिखारियों या गरीब व्यक्तियों को दान दें।
१४. घर में रोटी बनाकर काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं।


उपाय: घर से दूर हो जाएगी नेगेटिव एनर्जी और अनाज कभी खत्म नहीं होगा
धर्म डेस्क |
उपाय: घर से दूर हो जाएगी नेगेटिव एनर्जी और अनाज कभी खत्म नहीं होगा
उज्जैन। प्राचीन काल से ही काले घोड़े के पैरों में लगी नाल का उपयोग कई प्रकार के चमत्कारी उपायों में किया रहा है। ज्योतिष के अनुसार घोड़े की नाल किसी भी व्यक्ति की किस्मत चमकाने में सक्षम है। नाल के उपायों से घर में सदैव धन-धान्य भरे रहता है। कभी भी अनाज की कमी नहीं होती है।
यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में कभी भी अन्न की कमी न हो तो यह उपाय करें... काले घोड़े की नाल को काले कपड़े में लपेट कर वहां रख दें, जहां अनाज रखा रहता है। ऐसा करने पर आपके घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होगी।
घोड़े के पैरों में लगी नाल क्यों है चमत्कारी


घोड़े के पैरों में लगने वाली नाल लोहे की बनी होती है। लोहा शनि की धातु है और काला रंग शनि का प्रिय रंग है। शनि मेहनत करने वाले प्राणियों का प्रतिनिधित्व करता है। घोड़े में अपार शक्ति होती है और वह मेहनत भी खूब करता है। काले घोड़े को शनि से संबंधित जीव माना जाता है। इसी वजह से काले घोड़े के पैरों में लगी लोहे की नाल भी शनि दोष दूर करती है।
आगे जानिए काले घोड़े की नाल से और कौन-कौन से उपाय किए जा सकते हैं, जिनसे आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सकती है और शनि दोष से मुक्ति मिल सकती है। इन उपायों से शनि कृपा के साथ ही महालक्ष्मी की प्रसन्नता भी मिलती है।
दरवाजे पर लगाएं ऐसे नाल- घोड़े की नाल को दरवाजे पर भी लगाया जाता है। यदि नाल को उल्टा करके (अंग्रेजी अक्षर यू की तरह) दरवाजे पर लगाएंगे तो आपके पर किसी की बुरी नजर नहीं लगेगी। किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का असर आपके घर पर नहीं होगा।
देवी-देवताओं की कृपा के लिए- यदि घोड़े की नाल को सीधा करके दरवाजे पर लगाएंगे तो आपके घर पर सभी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहेगी। घर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक बना रहेगा।
व्यापार में लाभ के लिए- घोड़े की नाल व्यापार के स्थान पर रखने से धन में वृद्धि होती है। व्यापार में लाभ के अवसर बनते रहते हैं।
महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए- यदि आप महालक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं तो काले घोड़े की नाल को काले कपड़े में लपेटकर, धन के स्थान पर रख दें। ऐसा करने से आपके धन में वृद्धि होती रहेगी।
कुंडली में शनि अशुभ हो तो- कुंडली में शनि अशुभ हो तो व्यक्ति को छोटे-छोटे कार्यों में भी कड़ी मेहनत करना पड़ती है। परिवार संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती और ढय्या के समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साढ़ेसाती का समय साढ़े सात साल तक रहता है और ढय्या का समय ढाई साल तक रहता है।
ज्योतिष में शनि के दोषों को दूर करने के लिए कई प्रकार के उपाय बताए गए हैं। इन उपायों में से एक उपाय है काले घोड़े की नाल का छल्ला मध्यमा उंगली में पहनना।
इस उपाय से शनि संबंधी अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं और सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगते हैं।
कैसे पहनें ये छल्ला...
किसी भी शनिवार के दिन ये छल्ला धारण किया जा सकता है। छल्ला धारण करने से एक दिन पहले शुक्रवार की रात छल्ले को दूध में भिगोकर रख दें। इसके बाद अगले दिन शनिवार को छल्ला साफ जल से धो लें। छल्ला धोने के बाद इसका पूजन करें और शनि मंत्रों का जप करें। पूजन पूर्ण होने पर यह छल्ला मध्यमा उंगली में धारण कर लें।

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