Saturday, 4 October 2014

आंवला - amla



 एक आंवला चार नीबू के बराबर लाभकारी होता है.
आंवला विटामिन सी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. देखने में यह फल जितना साधारण प्रतीत होता है, उतना ही स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी है. एक आंवला चार नीबू के बराबर लाभकारी होता है. एक आंवले में 30 संतरों के बराबर vitamin C होता है है इसे अपने आहार में स्थान दें यह त्वचा की कांति को बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है. यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है. यह ठंडी प्रवृति का होता है. यह हमें कई समस्याओं से निजात दिलाता है. इसके नियमित सेवन से हमारा पाचन तंत्र मजबूत रहता है.

बालों के रोग : -आंवले का चूर्ण पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। सुबह इस पानी से रोजाना बाल धोने से उनकी जड़े मजबूत होंगी, उनकी सुंदरता बढ़ेगी और मेंहदी मिलाकर बालों में लगाने से वे काले हो जाते हैं।

"पेशाब की जलन : -* आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएं।* हरे आंवले का रस 50 ग्राम, शक्कर या शहद 25 ग्राम थोड़ा पानी मिलाकर सुबह-शाम पीएं। यह एक खुराक का तोल है। इससे पेशाब खुलकर आयेगा जलन और कब्ज ठीक होगी। इससे शीघ्रपतन भी दूर होता है।"

"हकलाहट, तुतलापन : -* बच्चे को 1 ताजा आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने के लिये दें। इससे जीभ पतली, आवाज साफ, हकलाना और तुतलापन दूर होता है।* हकलाने और तुतलाने पर कच्चे, पके हरे आंवले को कई बार चूस सकते हैं।"

खून के बहाव (रक्तस्राव) : -स्राव वाले स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाएं, स्राव बंद हो जाएगा।

धातुवर्द्धक (वीर्यवृद्धि) : -एक चम्मच घी में दो चम्मच आंवले का रस मिलाकर दिन में 3 बार कम-से-कम 7 दिनों तक ले सकते हैं।

पेशाब रुकने पर : -कच्चे आंवलों को पीसकर बनी लुग्दी पेडू पर लगाएं।

आंखों (नेत्र) के रोग में : -* लगभग 20-50 ग्राम आंवले के फलों को अच्छी तरह से पीसकर 2 घंटे तक आधा किलो ग्राम पानी में उबालकर उस जल को छानकर दिन में 3 बार आंखों में डालने से आंखों के रोगों में बहुत लाभ होता है।* वृक्ष पर लगे हुये आंवले में छेद करने से जो द्रव पदार्थ निकलता है। उसका आंख के बाहर चारों ओर लेप करने से आंख के शुक्ल भाग की सूजन मिटती है।* आंवले के रस को आंखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस 4 ग्राम तथा सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग इन्हें एक साथ मिलाकर आंखों में लगाने से शुरुआती मोतियाबिंद (नूतन अभिष्यन्द) नष्ट होता है।* लगभग 6 ग्राम आंवले को पीसकर ठंडे पानी में भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उन आंवलों को निचोड़कर फेंक दें और उस जल में फिर दूसरे आंवले भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उनको भी निचोड़ कर फेंक दें। इस प्रकार 3-4 बार करके उस पानी को आंखों में डालना चाहिए। इससे आंखो की फूली मिटती है।* आंवले का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आंवले के साथ हरा धनिया पीसकर खाने से भी आंखों के रोग में लाभ होता है"

सुन्दर बालों के लिए : -* सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेड़ा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लौह चूर्ण 10 ग्राम, रात भर कढाई में भिगोकर रखें। बालों पर इसका रोजाना लेप करने से छोटी आयु में सफेद हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं।* आंवले, रीठा, शिकाकाई तीनों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लम्बे होते हैं।* आंवले और आम की गुठली की मज्जा को साथ पीसकर सिर में लगाने से मजबूत लंबे केश पैदा होते हैं।

आवाज का बैठना : -* अजमोद, हल्दी, आंवला, यवक्षार, चित्रक इनको समान मात्रा में मिलाकर, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ चाटने से आवाज का बैठना ठीक हो जाता है।* एक चम्मच पिसे हुए आंवले को गर्म पानी से फंकी लेने से बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज साफ आने लगती है।* कच्चे आंवले बार-बार चूस-चूसकर खाएं।

हिक्का (हिचकी) : -* पिपली, आंवला, सोंठ इनके 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा एक चम्मच शहद मिलाकर बार-बार प्रयोग करने से हिचकी तथा श्वास रोग शांत होते हैं।* आंवले के 10-20 ग्राम रस और 2-3 ग्राम पीपल का चूर्ण, 2 चम्मच शहद के साथ दिन में सुबह और शाम सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।* 10 ग्राम आंवले के रस में 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण और 5 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से हिचकियों से राहत मिलती है।* आंवला, सोंठ, छोटी पीपल और शर्करा के चूर्ण का सेवन करने से हिचकी नहीं आती है।* आंवले के मुरब्बे की चाशनी के सेवन से हिचकी में बहुत लाभ होता है।

वमन (उल्टी) : -* हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस, 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। इसे दिन में 2-3 बार लेना चाहिए। केवल इसका चूर्ण 10-50 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ भी दिया जा सकता है।

* त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाली उल्टी में आंवला तथा अंगूर को पीसकर 40 ग्राम खांड, 40 ग्राम शहद और 150 ग्राम जल मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।*आंवले के 20 ग्राम रस में एक चम्मच मधु और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से वमन (उल्टी) बंद होती है।* आंवले के रस में पिप्पली का बारीक चूर्ण और थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आने के रोग में लाभ होता है।* आंवला और चंदन का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में 3 बार शक्कर और शहद के साथ चाटने से गर्मी की वजह से होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।* आंवले का फल खाने या उसके पेड़ की छाल और पत्तों के काढ़े को 40 ग्राम सुबह और शाम पीने से गर्मी की उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।* आंवले के रस में शहद और 10 ग्राम सफेद चंदन का बुरादा मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।

संग्रहणी : -मेथी दाना के साथ इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी मिट जाती है।"मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट या जलन होने पर) : -* आंवले की ताजी छाल के 10-20 ग्राम रस में दो ग्राम हल्दी और दस ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है।* आंवले के 20 ग्राम रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से मूत्रकृच्छ मिटता है।

विरेचन (दस्त कराना) : -रक्त पित्त रोग में, विशेषकर जिन रोगियों को विरेचन कराना हो, उनके लिए आंवले के 20-40 मिलीलीटर रस में पर्याप्त मात्रा में शहद और चीनी को मिलाकर सेवन कराना चाहिए।

अर्श (बवासीर) : -* आंवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बरर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।* बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।* सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 ग्राम पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।* सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।* आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।* आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।

शुक्रमेह : -धूप में सुखाए हुए गुठली रहित आंवले के 10 ग्राम चूर्ण में दुगनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 250 ग्राम तक ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करने से स्वप्नदोष (नाइटफॉल), शुक्रमेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है।

खूनी अतिसार (रक्तातिसार) : -यदि दस्त के साथ अधिक खून निकलता हो तो आंवले के 10-20 ग्राम रस में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर रोगी को पिलायें और ऊपर से बकरी का दूध 100 ग्राम तक दिन में 3 बार पिलाएं।

रक्तगुल्म (खून की गांठे) : -आंवले के रस में कालीमिर्च डालकर पीने से रक्तगुल्म खत्म हो जाता है।

प्रमेह (वीर्य विकार) : -* आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागर-मोथा, दारू-हल्दी, देवदारू इन सबको समान मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर 10-20 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम प्रमेह के रोगी को पिला दें।* आंवला, गिलोय, नीम की छाल, परवल की पत्ती को बराबर-बराबर 50 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में रातभर भिगो दें। इसे सुबह उबालें, उबलते-उबलते जब यह चौथाई मात्रा में शेष बचे तो इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पित्तज प्रमेह नष्ट होती है।

पित्तदोष : -आंवले का रस, शहद, गाय का घी इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर आपस में घोटकर लेने से पित्त दोष तथा रक्त विकार के कारण नेत्र रोग ठीक होते हैं

मूत्रातिसार (सोमरोग) : -एक पका हुआ केला, आंवले का रस 10 ग्राम, शहद 5 ग्राम, दूध 250 ग्राम, इन्हें एकत्र करके सेवन करने से सोमरोग नष्ट होता है।

श्वेतप्रदर : -* आंवले के 20-30 ग्राम बीजों को पानी के साथ पीसकर उस पानी को छानकर, उसमं, 2 चम्मच शहद और पिसी हुई मिश्री मिलाकर पिलाने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।

* 3 ग्राम पिसा हुआ (चूर्ण) आंवला, 6 ग्राम शहद में मिलाकर रोज एक बार 1महीने तक लेने से श्वेत-प्रदर में लाभ होता है। परहेज खटाई का रखें।

* आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक प्रतिदिन सुबह और शाम को पीने से स्त्रियों को होने वाला श्वेतप्रदर नष्ट हो जाता है।

पाचन सम्बंधी विकार : -पकाये हुए आंवलों को घियाकस कर लें, उसमें उचित मात्रा में कालीमिर्च, सोंठ, सेंधानमक, भुना जीरा और हींग मिलाकर छाया में सुखाकर सेवन करें। इससे अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना), अग्निमान्द्य (अपच) व मलावरोध दूर हो जाता है तथा भूख में वृद्धि होती है।

तेज अतिसार (तेज दस्त) : -5-6 आंवलों को जल में पीसकर रोगी की नाभि के आसपास उनकी थाल बचाकर लेप कर दें और थाल में अदरक का रस भर दें। इस प्रयोग से अत्यंत भयंकर नदी के वेग के समान दुर्जय, अतिसार का भी नाश होता है।

मूत्राघात (पेशाब में धातु का आना : -5-6 आंवलों को पीसकर वीर्य नलिकाओं पर लेप करने से मूत्राघात की बीमारी समाप्त होती है।

योनि की जलन, सूजन और खुजली : -* आंवले का रस 20 ग्राम, 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम मिश्री को मिलाकर मिश्रण बना लें, फिर इसी को पीने से योनि की जलन समाप्त हो जाती है।* आंवले के रस में चीनी को डालकर 1 दिन में सुबह और शाम प्रयोग करने से योनि की जलन मिट जाती है।* आंवले को पीसकर उसका चूर्ण 10 ग्राम और 10 ग्राम मिश्री को मिलाकर 1 दिन में सुबह और शाम खुराक के रूप में सेवन करने से योनि में होने वाली जलन मिट जाती है।* जिस स्त्री के गुप्तांग (योनि) में जलन और खुजली हो, उसे आंवले का रस, शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।

सुजाक : -आंवले के 2 से 5 ग्राम चूर्ण को एक गिलास जल में मिलाकर पीने से और उसी जल से मूत्रेन्दिय में पिचकारी देने से सूजन व जलन शांत होती है और धीरे-धीरे घाव भरकर पीव आना बंद हो जाता है

वातरक्त : -आंवला, हल्दी तथा मोथा के 50-60 ग्राम काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से वातरक्त शांत हो जाता है।

पित्तशूल : -आंवले के 2-5 ग्राम चूर्ण को 1 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट पित्तशूल की शांति के लिए चाटना चाहिए।

जोड़ों के दर्द : -* 20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ को 500 ग्राम पानी में उबालें, जब यह 250 ग्राम शेष तो इसे छानकर सुबह-शाम पिलाने से गठिया में लाभ होता है परन्तु इलाज के दौरान नमक छोड़ देना चाहिए।* सूखे आंवले को कूट-पीस लें और उसके चूर्ण से 2 गुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर बेर के आकार की गोलियां बना लें। 3 गोलियां रोजाना लेने से जोड़ों का खत्म होता है।* आंवला और हरड़ 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण गर्म जल के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से जोड़ों (गठिया) का दर्द खत्म हो जाता है।* एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले और 50 ग्राम गुड़ डालकर उबालें। चौथाई पानी रहने पर इसे छानकर 2 बार रोज पिलाएं। इस अवधि में बिना नमक की रोटी तथा मूंग की दाल में सेंधानमक, कालीमिर्च डालकर खाएं। इस प्रयोग के समय ठंडी हवा से बचें।....

कफज्वर : -मोथा, इन्द्रजौ, हरड़, बहेड़ा, आंवला, कुटकी तथा फालसे का काढ़ा कफ ज्वर को नष्ट करता है।

रक्तपित्त (पित्त के कारण उत्पन्न रक्तविकार) : -* आंवले का प्रयोग वात, पित्त और कफ के दोषों से उत्पन्न विशेषकर पैत्तिक विकारों में, रक्तपित्त, प्रमेह आदि में किया जाता है। इसके लिए आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 2 ग्राम हल्दी और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार पिलाएं।* रक्तपित्त में खून की उल्टी होने के कारण यदि आमाशय में व्रण (घाव) हो तो आंवले के चूर्ण की 5 से 10 ग्राम की मात्रा को दही के साथ अथवा 10-20 ग्राम काढ़े को गुड़ के साथ भी दिया जाता है।* नाक से खून बहने पर आंवलों को घी में भूनकर और कांजी को पीसकर माथे पर लगाना चाहिए।* पहले सिर के बाल मुड़वा लें या बिलकुल छोटे करा लें। फिर आंवले को पानी के साथ पीसकर पूरे सिर पर लेप लगा लें इससे नाक से बहने वाला खून बंद हो जाता है।

बुखार होने के मूल दोष : -आंवला, चमेली की पत्ती, नागरमोथा, ज्वासा को समान भाग में लेकर काढ़ा बना लें। इसके बाद इसमें गुड़ मिलाकर सेवन करने से बुखार के रोगी के शरीर के भीतर के दोष शीघ्र ही बाहर निकल आते हैं।

पित्तज्वर : -पके हुए आंवलों का रस निकालकर उसको खरल में डालकर घोटना चाहिए, जब गाढ़ा हो जाए तब उसमें और रस डालकर घोटना चाहिए। इस प्रकार घोटते-घोटते सब को गाढ़ा करके उसका गोला बनाकर चूर्ण कर लेना चाहिए। यह चूर्ण अत्यंत पित्तशामक है। इसको 2-5 ग्राम की मात्रा में रोजाना दिन में सुबह और शाम सेवन करने से पित्त की घबराहट, प्यास और पित्त का ज्वर दूर होता है।

खाज-खुजली : -* आंवले की गुठली को जलाकर उसकी राख बना लें और फिर उस राख में नारियल का तेल मिलाकर शरीर के जिस भाग में खुजली हो वहां पर इसको लगाने से खुजली जल्दी दूर हो जाती है।* 100 ग्राम चमेली के तेल में 25 ग्राम आंवले का रस मिलाकर शीशी में भरकर रख लें और फिर इसे दिन में 4-5 बार खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।

फोड़े : -* आंवले के दूध को लगाने से बहुत दु:ख देने वाले फोडे़ मिटते हैं।* सूखे आंवलों को जलाकर इनको पीसकर इनका चूर्ण बना लें, और शुद्ध घी में मिला लें। इस मिश्रण को फोड़े और फुन्सियों पर लगाने से ये ठीक हो जाते हैं।* गर्मी के मौसम में आंवले का शर्बत या रस पीने से बार-बार प्यास नहीं लगती है और गर्मी से होने वाले रोग भी दूर होते हैं।

थकान : -आंवले के 100 ग्राम काढ़े में 10 ग्राम गुड़ डालकर थोड़ा-थोड़ा पीने से थकान, दर्द, रक्तपित्त (खूनी पित्त) या मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट होना) आदि रोग ठीक होते

पित्तरोग : -ताजे फलों का मुरब्बा विशेष रूप से आंवले का मुरब्बा 1-2 पीस सुबह खाली पेट खाने से पित्त के रोग मिटते हैं।

चाकू का घाव : -चाकू आदि से कोई अंग कट जाय और खून का बहाव तेज हो तो तत्काल आंवले का ताजा रस निकालकर लगा देने से लाभ होता है

दीर्घायु (लम्बी आयु के लिए) : -# केवल आंवले के चूर्ण को ही रात के समय में घी या शहद अथवा पानी के साथ सेवन करने से आंख, कान, नाक आदि इन्द्रियों का बल बढ़ता है, जठराग्नि (भोजन को पचाने की क्रिया) तीव्र होती है तथा यौवन प्राप्त होता है।# आंवले का चूर्ण 3 से 6 ग्राम को आंवले के ही रस में उबालें, इसे 2 चम्मच शहद और एक चम्मच घी के साथ दिन में सुबह और शाम चाटें तथा ऊपर से दूध पीएं इससे 80 साल का बूढ़ा भी स्वयं को युवा महसूस करने लगता"

गर्मी से बचाव : -गर्मी में आंवले का शर्बत पीने से बार-बार प्यास नहीं लगती तथा गर्मी के रोगों से बचाव होता है

स्वप्नदोष : -* एक मुरब्बे का आंवला नित्य खाने से लाभ होता है।* एक कांच के गिलास में सूखे आंवले 20 ग्राम पीसकर डालें। इसमें 60 ग्राम पानी भरें और फिर 12 घंटे भीगने दें। फिर छानकर इस पानी में 1 ग्राम पिसी हुई हल्दी डालकर पीएं। यह युवकों के स्वप्नदोष (नाइटफाल) के लिए बहुत ही उपयोगी है।

पुराना बुखार : -मूंग की दाल में सूखा आंवला डालकर पकाकर खाएं।

खूनी बवासीर : -सूखे आंवले को बारीक पीसकर एक चाय का चम्मच सुबह-शाम 2 बार छाछ या गाय के दूध से लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

खून की कमी : -* आंवले का चूर्ण 3 से 6 ग्राम प्रतिदिन शहद के साथ लेने से खून में वृद्धि होती है।* खून की कमी के रोगी को एक चम्मच आंवले का चूर्ण और 2 चम्मच तिल के चूर्ण लेकर शहद के साथ मिलाकर खिलाने से एक महीने में ही रोग में लाभ होता है।

पाचन-शक्तिवर्धक : -खाने के बाद 1 चम्मच सूखे आंवले के चूर्ण की फंकी लेने से पाचन-शक्ति बढ़ती है, मल बंधकर आता है।

शक्तिवर्धक : -पिसा हुआ आंवला 1 चम्मच, 2 चम्मच शहद में मिला कर चाटें, ऊपर से दूध पीएं। इससे सदा स्वास्थ्य अच्छा रहता है। दिनभर प्रसन्नता का अनुभव होता है। जब ताजे आंवले मिलते हो तो सुबह आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद आधा कप पानी मिला कर पीएं। ऊपर से दूध पीएं। इससे थके हुए ज्ञान-तंतुओं को उत्तम पोषण मिलता है। कुछ ही दिन नित्य पीने पर शरीर में नई शक्ति और चेतना आयेगी जीवन में यौवन की बहार आयेगी। जो लोग स्वस्थ रहना चाहते है, उन्हें इस प्रकार आंवले का रस नित्य पीना चाहिए।

स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए : -प्रतिदिन सुबह आंवले का मुरब्बा खाएं।

नेत्र-शक्ति बढ़ाने के लिए : -आंवले के सेवन से आंखों की दृष्टि बढ़ती है। 250 ग्राम पानी में 6 ग्राम सूखे आंवले को रात को भिगो दें। प्रात: इस पानी को छानकर आंखें धोयें। इससे आंखों के सब रोग दूर होते हैं और आंखों की दृष्टि बढ़ती है। सूखे आंवले के चूर्ण की 1 चाय की चम्मच की फंकी रात को पानी से लें।

कटने से खून निकलने पर : -कटे हुए स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाने से खून निकलना बंद हो जाता है।

हृदय एवं मस्तिष्क की निर्बलता : -आधा भोजन करने के बाद हरे आंवलों का रस 35 ग्राम पानी मिलाकर पी लें, फिर आधा भोजन करें। इस प्रकार लगभग 20-25 दिन सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क सम्बन्धी दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है।

गर्भवती स्त्री को उल्टी होने पर : -यदि गर्भावस्था में उल्टी होती हो तो आंवले के मुरब्बे प्रतिदिन 4 बार खिलाने से उल्टी बंद हो जायेगी।

त्वचा सौन्दर्यवर्धक : -पिसा हुआ आंवला उबटन (बॉडी लोशन) की तरह मलने से त्वचा साफ और मुलायम रहती है तथा चर्म रोग नहीं होते हैं।

आंखों के आगे अंधेरा छाना : -आंवलों का रस पानी में मिलाकर सुबह-शाम 4 दिन पीने से लाभ होता है।

चक्कर आना : -* गर्मियों में चक्कर आते हो, जी घबराता हो तो आंवले का शर्बत पीयें।* आंवले के मुरब्बे को चांदी के एक बर्क में लपेटकर सुबह के समय खाली पेट खाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।* लगभग 6-6 ग्राम सूखा आंवला और सूखे धनिये को मोटा-मोटा कूटकर रात को सोते समय 100 ग्राम पानी में भिगोकर रख दें और सुबह मसल-छानकर इसमें खांड मिलाकर रोगी को पिलाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।

आंखों को निरोग रखना : -त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) रात को पानी में मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सुबह छानकर इस पानी से आंखें धोने से आंखें निरोग रहती हैं।

झुर्रियां व झांई : -रोजाना सुबह-शाम चेहरे पर किसी भी तेल की धीरे-धीरे मालिश करें। रात को 1 कांच का गिलास पानी से भर कर इसमें 2 चम्मच पिसा हुआ आंवला भिगो दें और सुबह पानी छानकर चेहरा रोज इस पानी से धोयें। ऐसा करते रहने से चेहरे की झुर्रियां व झांई दूर हो जायेगी।

जवानी बनाएं रखना : -सूखा आंवला पीस लें। इसे 2 चम्मच भरकर रोटी के साथ रोजाना खाने से जवानी बनी रहेगी और बुढ़ापा देर से आयेगा।

बाल को लंबे और मुलायम करना : -सूखे आंवले और मेंहदी दोनों समान मात्रा में आधा कप भिगो दें। प्रात: इससे बाल धोयें तो बाल मुलायम और लम्बे हो जायेंगे।

अजीर्ण ज्वर : -आंवला, चित्रक, छोटी हरड़, छोटी पीपल तथा सेंधानमक को बारीक कर चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से बुखार समाप्त हो जाता है।

आंख आना : -आंवले का रस निकालकर उसे किसी कपडे़ में छानकर बूंद-बूंद करके आंखों में डालने से आंख आने का रोग ठीक होता है साथ ही आंख का लालपन और जलन भी दूर होती है।

दांतों का दर्द : -* आंवले के छाल और पत्तों को पानी के साथ उबाल लें। इसके पानी से प्रतिदिन दो बार कुल्ला करने से दांतों का दर्द नष्ट होता है।* सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर मंजन बना लें। इससे दांतों पर रोजाना मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं तथा दर्द में आराम रहता है।* आंवले के रस में थोड़ा सा कपूर मिलाकर दांत पर लगायें। इससे कीड़े लगे हुए दांत का दर्द दूर हो जायेगा।* आंवले के रस में कपूर मिलाकर पीड़ित दांत में लगाएं।"

बालों का सफेद होना : -* आंवले के चूर्ण का लेप बनाएं। उसे रोजाना सुबह सिर के बालों में अच्छी तरह लगा लें। साबुन का प्रयोग न करें। इस प्रयोग से सफेद बाल काले हो जायेंगे।* बालों के सफेद होने और चेहरे की रौनक नष्ट हो जाने पर 1 चम्मच आंवले के चूर्ण को दो घूंट पानी के साथ सोते समय प्रयोग करें। इससें पूर्ण लाभ होता है और साथ ही आवाज मधुर और शुद्ध होती है।

* सूखे आंवले के चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर सिर पर लगाने के बाद बाल को अच्छी तरह धोने से सफेद बाल गिरना बंद हो जायेंगे। सप्ताह में 2 बार नहाने से पहले इसका प्रयोग करें। अपनी आवश्यकतानुसार करीब 3 महीने तक इसका प्रयोग कर सकते हैं।* 25 ग्राम सूखे आंवले को यवकूट (मोटा-मोटा कूटकर) कर उसके टुकड़े को 250 ग्राम पानी में रात को भिगो दें। सुबह फूले आंवले को कड़े हाथ से मसलकर सारा जल पतले स्वच्छ कपड़े से छान लें। अब इस छाने हुए पानी को बालों की जड़ों में हल्के-हल्के अच्छी तरह से लगाएं और 10-20 मिनट बाद बालों की जड़ को अच्छी तरह धो लें। रूखे बालों को 1 बार और चिकने बालों को सप्ताह में दो बार धोना चाहिए। आवश्यकता हो तो और भी धोया जा सकता है। जिस दिन बाल धोने हो, उसके एक दिन पहले रात में आंवले के तेल का अच्छी तरह से बालों पर मालिश करें।* हरे आंवलों को पीसकर साफ कपड़े में निचोड़कर 500 ग्राम रस निकालें। कड़ाही में 500 ग्राम आंवले का रस डालकर उसमें 500 ग्राम साफ किया हुआ काले तिल का तेल मिला लें और बर्तन को हल्की आग पर गर्म करें। पकाने पर जब आंवले का रस जलीय वाश्प बनकर उड़ जाए और केवल तेल ही बाकी रह जाये तब बर्तन को आग से नीचे उतारकर ठंडा कर लें। ठंडा हो जाने पर इसे फिल्टर बेग (पानी साफ करने की मशीन) की सहायता से छान लें। इसके बाद इस तेल को बोतल में भरकर रोजाना के प्रयोग में ला सकते हैं। इस तेल को बालों की जड़ों में अंगुलियों की पोरों से हल्की मालिश करने से बाल लम्बे और काले बनते हैं।

बुखार : -* आंवला 50 ग्राम और अंगूर (द्राक्षा) 50 ग्राम को लेकर पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को कई बार चाटने से बुखार की प्यास और बेचैनी समाप्त होती है।* आंवले का काढ़ा बनाकर सुबह और शाम को पीने से वृद्धावस्था में जीर्ण-ज्वर और खांसी में राहत मिलती है।* आंवला 6 ग्राम, चित्रक 6 ग्राम, छोटी हरड़ 6 ग्राम और पीपल 6 ग्राम आदि को लेकर पीसकर रख लें। 300 ग्राम पानी में डालकर उबाल लें, एक-चौथाई पानी रह जाने पर पीने से बुखार उतर जाता है।

आंखों का दर्द : -* आंवले के बीज के काढ़े से आंखों को धोने से आंख का दर्द दूर हो जाता है। आंवले का चूर्ण रातभर जिस पानी में भिगोया गया हो उससे आंखों को धोने से भी लाभ होता है।* भिगोये हुए आंवले के पानी से आंखों को धोयें और आंवले की गिरी के काढ़े की 2 से 3 बूंद रोजाना 3 से 4 बार आंखों में डालने से आंखों का दर्द दूर हो जाता है।

काली खांसी : -10-10 ग्राम आंवला, छोटी पीपल, सेंधानमक, बहेड़े का छिलका, बबूल के गोंद को पानी के साथ पीसकर और छानकर आधा ग्राम शहद में मिलाकर दिन में 3 बार प्रयोग करने से गले की खराबी से उठने वाली खांसी ठीक हो जाती है।

खांसी : -* एक चम्मच पिसे हुए आंवले को शहद में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम चाटने से खांसी में

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